अब लिखना छोड़ दिया तुम्हारे बारे में
कहें भी तो क्या कहें
लिखें भी तो क्या लिखें
सोचा हुआ हर शब्द
जो कभी कहना चाहते थे तुमसे
आज हर मायने में बहोत दूर जा चुका है
तुमने तब सुना नहीं
और इन्हें कहीं अपनी अहमियत मिल गयी
ऐसे तो अल्फाज बुने जा सकते हैं
अंदाज लिखे जा सकते हैं
तुम्हारे हर मिज़ाज पे
पुल एक हजार बांधे जा सकते हैं
पर जब मोहब्बत हो गयी अब खुद से
तो इश्क़ तुम्हारा क्या लिखें
तुम्हारी रहें बुनना छोड़ दिया हमने
तो चलें भी तो क्या चलें